कहीं आपका बच्चा तनावग्रस्त तो नहीं है? एक्सपर्ट से जानें लक्षण और उबरने के उपाय

कहीं आपका बच्चा तनावग्रस्त तो नहीं है? एक्सपर्ट से जानें लक्षण और उबरने के उपाय

सेहतराग टीम

पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति है। ऐसे में घर पर रहकर अमूमन ऐसी चीजें सुनने को मिलती हैं जिससे चिंता व परेशानी लाजमी है। मेडिकल का भी मानना है कि इसका असर सिर्फ बड़ों पर ही नहीं बच्चों पर भी रहा है। बच्चे अपनी इस स्थिति के बारे में खुलकर बता नहीं पाते हैं लेकिन वे भी भावनात्मक और मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। हालांकि इसका पता लगाया जा सकता है। क्योंकि इससे प्रभावित बच्चों के व्यवहार में बदलाव नजर आने लगता है। मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों से इस बारे में बात करें। उन्हें बताएं कि वे और उनका परिवार पूरी तरह सुरक्षित है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान उनका एक रूटीन जरूर बनाएं ताकि वे व्यस्त और सकारात्मक रहें। आइए, जानते हैं तनाव के लक्षण और इससे उबरने के उपाय।

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झुंझलाहट, व्यवहार में बदलाव

  • डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में झुंझलाहट तनाव का एक बड़ा संकेत है। इस दौरान कई बच्चों में भावों की कमी और स्वभाव में बदलाव भी देखा जा रहा है। तनाव और घबराहट के कारण हार्मोन और रसायनों में परिवर्तन हो सकता है, जिसका असर शारीरिक तौर पर भी दिखाई देता है।
  • डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों के साथ समय बिताएं। उनका भरोसा हासिल करें कि थोड़ी सावधानियों की बदौलत, वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनका एक अच्छा सा रूटीन बनाकर उन्हें व्यस्त रखें। 

रात में बार-बार उठना अच्छी नींद न आना

  • अच्छी नींद नहीं आना, सोने के बाद बीच-बीच में उठना बच्चे में तनाव की निशानी हो सकती है। अगर बच्चे का स्वास्थ्य सामान्य है और फिर भी ऐसा उसमें रोज हो रहा है तो यकीनन वह तनाव में है।
  • इससे निपटने के लिए डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि आप बच्चों को शाम से ही किसी रचनात्मक गतिविधि में शामिल कराएं। अपने घर के गार्डन या छत पर जाकर सूरज ढलते वक्त टहलाने ले जाएं। अगर गर्म प्रदेशों में हैं तो शाम को स्नान कराकर सुलाएं। इससे अच्छी नींद आएगी।

तनाव से पेट में भी दर्द

  • बच्चों में पेट दर्द तनाव का सामान्य कारण है। चार साल और उससे ऊपर की आयु वाले बच्चों पर हुए एक अध्ययन में सामने आया था कि 90 फीसदी में इस दर्द से जुड़ी कोई बीमारी नहीं निकली। वे सामान्य और स्वस्थ थे। उनकी भूख और पाचन भी सामान्य था। इसके पीछे तनाव बड़ा कारण माना गया।
  • कई पीडियाट्रिशनों का कहना है कि ऐसी स्थिति में बच्चों को अधिक फाइबर युक्त आहार देना चाहिए। इससे उनमें कब्ज की समस्या भी नहीं रहेगी, जो पेट दर्द का कारण हो सकती है।

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मुंह में छाले

  • वैसे तो मुंह के छालों का कोई खास कारण मालूम नहीं है, लेकिन तनाव इनके पीछे एक वजह मानी जाती है। कॉलेज-स्कूली छात्रों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि परीक्षा के दिनों में छात्रों में छाले शुरू हो जाते थे। बुखार या अन्य किसी बीमारी के बिना होने वाले छाले स्वतः दूर हो जाते हैं। तनाव, गर्म आहार और नींद में गड़बड़ी के कारण छाले बने रह सकते हैं।
  • अगर स्वस्थ बच्चों में मुंह के छाले दिखें तो उनके लिए घर में अधिक आरामदायक स्थितियां बनाएं। साथ ही आहार पर विशेष ध्यान दें।

शौच की आदतों में बदलाव

  • विशेषज्ञों के अनुसार, तनाव के कारण बच्चों में शौच की आदतों में भी बदलाव आ सकता है। कुछ में टॉयलेट जाने का भय पैदा हो सकता है तो कुछ बार-बार शौच के लिए जाना चाहेंगे। डॉक्टर कहते हैं कि अगर बच्चा स्वस्थ है और पहले की तरह ही आहार ले रहा है तो शौच में गड़बड़ी की वजह तनाव ही हो सकती है।
  • इस दौरान आप उनके भावनात्मक बदलावों को पहचानें। अगर वे घबराएं हुए हैं तो उन्हें ढांढस दिलाएं। अगर उसमें ऐसे लक्षण बने रहें तो विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें।

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मांसपेशियों में दर्द

  • कोई बच्चा मांसपेशियों या हड्डी में दर्द की शिकायत करे तो उसकी शारीरिक गतिविधि पर नजर डालें। अगर वह बिना परेशानी के खेलकूद में भाग ले रहा है तो संभव है कि यह दर्द तनाव की देन हो सकती है।
  • उसका इस दर्द से ध्यान हटाएं। आप खुद उसके साथ खेलकूद में हिस्सा लें और उसे बताएं कि वह अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इससे वह राहत महसूस करेगा।

 

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